गुरुवार, 30 जनवरी 2025

पड़ोस की चाची की चूत चूदाई

 हॉट चाची चूत चुदाई कहानी में मेरे पड़ोस की चाची को मैंने आंगन में चारपाई पर लेती देखा, उनकी साड़ी हटी हुई थी और उनकी चूत दिख रही थी. उन्होंने मुझे देखते हुए देख लिया.


दोस्तो, मेरा नाम शिवम है. मैं यूपी के रायबरेली जिला के पास के एक गांव का रहने वाला हूँ.

अभी मेरी उम्र 32 साल है.


यह हॉट चाची चूत चुदाई कहानी तब की है, जब मैं 20 साल का था.

उस वक्त मेरे मकान के पीछे एक चाची चाचा रहते थे.


चाचा काफी उम्रदराज थे जबकि चाची की उम्र कम थी और वे एकदम नई जवान लड़की की जैसी दिखती थीं.

चाची का नाम (बदला हुआ) सोना था. चाची को एक छोटा लड़का भी था.


मैं बचपन से उनको देखता आया था लेकिन मैंने उन्हें कभी गंदी नजर से नहीं देखा था.


एक दिन मैं अपनी छत पर खड़ा था तभी मेरी नजर उनके आंगन में पड़ी चारपाई पर पड़ी, जिस पर वे लेटी थीं.

उनके पैरों पर से साड़ी हटी हुई थी और उनकी बुर चमक रही थी.


मैं लगभग दस मिनट तक उनकी बुर देखता रहा.


तभी उन्होंने देख लिया और बोल उठीं- ऐ, क्या देख रहे हो?

मैं हड़बड़ा गया और बोला- क… कुछ नहीं चाची.

मैं दूसरी तरफ देखने लगा.


वे बेशर्मी से अपनी चुत सहलाती हुई बोलीं- बोलो क्या हुआ शिवम … कुछ चाहिए था क्या?

मैंने कहा- नहीं … कुछ नहीं!


मैं छत पर से नीचे उतर आया.

थोड़ी देर बाद चाची घर पर आईं और मम्मी से बातें करने लगीं.


मैं घबरा गया कि कहीं वे मम्मी को न बता दें.

मैं चुपचाप घर से निकल जाना चाहता था.


जब मैं घर से निकल रहा था, तभी उन्होंने मुझे आवाज देकर बुलाया 'शिवम!’

मैं चौंक गया और हकलाता हुआ बोला- जी क… क्या बात है?


चाची थोड़ी मुस्कुराईं और बोलीं- मेरा थोड़ा सामान ला दो!

मम्मी ने भी कह दिया- हां बेटा, ला दे!


मुझको थोड़ा राहत मिली कि चाची ने मम्मी से कुछ बताया नहीं है.


फिर मेरे पूछने से पहले ही वे बताने लगीं- एक पियर्स साबुन, एक शैंपू!

चाची ने मुझे 100 का नोट दिया.


मैं दुकान पर जाने लगा तो वे बोलीं- शिवम, सामान मेरे घर पर आकर दे जाना!

मैं बोला- ठीक है.


चाची थोड़ा सा मुस्कुरा दीं.

मैं उनकी कंटीली मुस्कान देख कर घायल सा हो गया.


चाची मेरे जाने के बाद शायद अपने घर चली गई थीं क्योंकि जब मैं उनका सामान लेकर वापस आया तो चाची वहां नहीं थीं.


मैंने मम्मी से पूछा तो मम्मी ने बताया- वह तो तुरंत ही अपने घर पर चली गई थी. जा, जाकर उनके घर दे आ!


मैं उनके घर पर गया तो उनका गेट खुला था; मैं घर के अन्दर चला गया.


चाची मुझे देख कर बोलीं- , आ गए … अच्छा मेरा एक काम और कर दो!

मैं बोला- हां बताओ चाची!


‘दुकान पर फिर से चले जाओ और एक रेजर भी ला दो!’

मैं बोला- चाची, चाचा तो है नहीं … फिर रेजर किस लिए?


वे बोलीं- अभी तुम बच्चे हो?

मैं बोला- पहले बताओ, किस लिए रेजर मंगा रही हो?


तो चाची बोलीं- पहले ले आओ, फिर बता दूंगी.

‘नहीं, पहले बताओ … फिर लाऊंगा!’


‘अच्छा ठीक है, मैं बताती हूं. बगल के बाल बनाने है यार … गर्मी ज्यादा है न!’

उन्होंने यार कहा, तो मैं खुश हो गया.


उन्होंने वापस कहा- ठीक है, अब जाओ रेजर ले आओ!

मैं चला गया और दुकान पर से रेजर ला कर उन्हें दे दिया.


जब मैं उधर से जाने लगा, तब चाची ने फिर से रोका- शिवम एक बात पूछूं, बताओगे?

मैंने भी कह दिया- हां पूछो!


“तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?”

मैंने कहा- नहीं तो, लेकिन आप क्यों पूछ रही हो?

तब चाची बोलीं- बस ऐसे ही!


मैं अपने घर चला आया.


थोड़ी देर बाद मैं अपने कमरे में टीवी देखने लगा.

तभी मम्मी के पास चाची के बोलने की आवाज आई.


मैंने अपने कमरे से देखा कि चाची पीछे से बहुत मस्त लग रही थीं और उनके चूतड़ काफी भरे भरे से लग रहे थे.

मैंने आज पहली बार उनको इतनी ध्यान से देखा था.


वे मम्मी से कह रही थीं- आज दूध फट गया है … चाय बना रही थी, क्या दूध मिलेगा?


मम्मी ने कहा- हां अभी थोड़ी देर में ले जाना … क्योंकि दूध गैस पर पकने के लिए रखा था!

चाची बोलीं- ठीक है दीदी.


अब वे चली गईं.

उनके जाने के बाद मम्मी ने आवाज लगाई- राहुल!


मैं बाहर निकल कर आया.

मम्मी बोलीं- रसोई में से दूध लेकर चाची को दे आ!


मैं उस वक्त छत पर गया था.

उस वक्त मैं जानबूझ कर चाची के आंगन में देखने लगा.

चाची आंगन में ही खड़ी थीं.


वे मुझको देख कर मुस्कराईं और हाथ से इशारा किया कि आओ चाय बन रही है.

मैं भी मुस्करा दिया और नीचे आ गया.


तभी मम्मी ने कहा- तेरी पड़ोसन चाची आई थीं, यह ले दूध और जाकर उनके घर दे आ!

मैंने मम्मी से थोड़ा दूध लिया और चल दिया.


आज मेरे मन में कुछ अजीब हरकत हो रही थी. लौड़ा बार बार सलामी दे रहा था और साथ में डर भी लग रहा था.


मैं दूध लेकर चाची के घर पहुंचा, तो देखा चाची के चूचे कुछ खुले हुए थे.

मैं बोला- चाची ये दूध लो, मम्मी ने भेजा है.


मेरी नजर चाची के मम्मों पर ही टिकी थी, जो बहुत ही गोरे थे.

चाची ने भांप लिया कि मैं क्या देख रहा हूँ.

 वे अपने दूध उठाती हुई बोलीं- शिवम पियोगे?

मैं हड़बड़ा गया और बोला- क…क्या चाची?


वे इठला कर अपने मम्मे हिलाती हुई बोलीं- जो देख रहे हो!

मैं नीचे जमीन की तरफ देखने लगा.


वे बोलीं- शिवम, मैं चाय की बात कर रही थी!

यह सुनते सुनते मुझे तो पसीना आ गया था.


मैंने पूछा- चाची, चाचा तो काफी दिनों से बाहर गए हैं, कब तक आएंगे?


वे बड़ी उदास मन से बोलीं- क्या फायदा, चाहे जब आएं! उनके आने से क्या होना है शिवम, वे चाहे घर में रहें या बाहर!

मैंने पूछा- चाची क्या लड़ाई हो गई है या कुछ और बात है?


वे दूध को अपने पैन में डाल रही थीं, तभी उनका हाथ पास में रखे गर्म तवे पर लग गया … जिससे उनकी चीख निकल गई.

वे जोर से बोलीं- मर गई रे!


मैंने उनका हाथ देखा तो खाल ही निकल गई थी.

मैंने उनको वहां से उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया.


दूध का पैन भी गैस से हटा कर पट्टी पर रख दिया. फिर जल्दी से थोड़ा कोलगेट पेस्ट को उनके हाथ पर लगा दिया.


चाची सफेद पेस्ट को देख रही थीं.

मैं जब जाने लगा तो वे बोलीं- शिवम जरा गैस बंद कर दो और हां शाम को जरा आ जाना!


उस वक्त चार बजे रहे थे.

मैं घर आ गया और सोचने लगा कि जब मैं चाची को पीछे से पकड़ कर उठा रहा था तो मैंने उनके एक मम्मे को थोड़ा दबा दिया था, लेकिन चाची ने कुछ नहीं कहा था.


अब मुझे शाम का इंतजार था.

मैं घर आकर मम्मी को बताया तो मम्मी तुरंत चाची के घर गईं.


वे कुछ देर बाद वापस आकर बोलीं- शिवम, सोनी को अभी खाना दे आना! मैं बोल कर आई हूँ कि वह खाना न बनाए … और उसके पास जा, जाकर मेडिकल स्टोर से कुछ दवाई ले आ.

मैंने अपनी साइकल को निकाला और चाची से जाकर पूछा कि चाची क्या क्या लाना है?

तो वे बोलीं- लो, पैसे ले लो और यह पर्ची है … दवाई ले आओ!


मैं जाने को हुआ, तो चाची बोलीं- कोई पूछे अगर कि किसने मंगाई है, तो बता देना कि किसी और ने मंगाई है, मेरा नाम मत बताना … ठीक है.

यह कह कर उन्होंने एक आंख दबा कर मुस्करा दिया.


मैं मेडिकल स्टोर पर चला गया. मुझे नहीं मालूम था कि पर्चे पर क्या दवा लिखी है!

जब मैं मेडिकल स्टोर से पर्चे पर लिखी दवाई ले चुका, तब मैंने देखा उसमें एक गोली सेक्स की थी.


मैंने इससे पहले यह दवा कभी देखी नहीं थी. जब मैं वापस चाची के घर आया, तो मम्मी वहीं थीं.

मम्मी बोलीं- ले आया दवाई?


लेकिन चाची का चेहरा उतरा सा लगने लगा, जब मम्मी ने दवाई देखने को मांगी.

चाची ने मुझे आंख से ना देने का इशारा किया.

 मैंने मम्मी को ये बोल कर दवाई नहीं दी कि अभी आता हूँ, साइकल बाहर खड़ी है.

मैं बाहर चला गया और वहां से अपने घर चला आया.


तब तक पीछे से मम्मी आ गईं और बोलीं- जा चाची के हाथ में ट्यूब लगा दे जाकर और दवा भी खिला देना, जिससे उसे ज्यादा जलन ना हो!

मैं बोला- ठीक है मम्मी.


मैं चाची के पास पहुंचा तो चाची अपने घुटने ऊपर करके लेटी थीं और उनकी बिना झांटों वाली चूत साफ चमक रही थी.


तब मैं खड़ा होकर चाची की चूत देखने लगा. मेरा लौड़ा भी लोअर में उफान मार रहा था.

चाची के मम्मे भी तने हुए नजर आ रहे थे.


कुछ देर देखने के बाद मैं चाची के पास गया और मैंने उनके पेट पर हाथ रख दिया.


चाची बोलीं- आ गए शिवम, लाओ दवाई दे दो मेरी!

मैंने कहा- चाची, आपने मम्मी के सामने दवाई क्यों नहीं ली, क्यों मना कर रही थीं?


तब चाची ने बताया- एक दवाई तेरे लिए भी मंगाई थी मैंने.

फिर वे गोली मुझे देती हुई बोलीं- इसको खा लेना, बहुत काम की गोली है.


मैंने बन कर पूछा- मैं क्यों खाऊँ, मुझे क्या हुआ है?

वे बोलीं- आज खा कर तो देख राहुल, फिर बताना!


चाची का हाथ कम ही जला था लेकिन वे दिखावा कुछ ज्यादा ही कर रही थीं.

मैं बोला- चाची क्या सच में आपको बहुत दर्द हो रहा है?


वे बोलीं- हां, लेकिन इस दर्द को तुम कम कर सकते हो.

मैं- चाची वह कैसे?


‘पहले तुम ये गोली लो खा लो, फिर बताती हूँ.’

मैंने कहा- घर पर जाकर खा लूँगा.


चाची बोलीं- अभी खा ले न!

उस वक्त शाम के 8 बजे का समय हो रहा था.


चाची के कई बार कहने पर मैंने कहा- ठीक है चाची मैं उस गोली को खा लूंगा.

ऐसा कह कर मैं चला आया.


घर पर मम्मी ने जलेबी बनाई थी.

मैं दही और जलेबी खाने लगा.


तभी मम्मी ने कहा- खाना खा लो, फिर अपनी सोनी चाची को भी खाना दे आना!

मैंने कहा- ठीक है मम्मी.


मैं खाना खाने के बाद जब हाथ धो रहा था, तभी मुझे उस गोली की याद आई.

मैंने झट से उस गोली को दूध के साथ खा लिया.


तभी पापा ने आवाज़ दी- शिवम, मैं खेत पर जा रहा हूँ, तुम भैंस का दूध निकाल लेना. लाइट आ गई है, खेत में पानी लग रहा है तो मुझे जाना है.

यह कह कर पापा खेत पर चले गए.


मैंने भैंस से दूध दुहा और खाना लेकर चाची के घर चला गया.


चाची ने झट से गेट बंद कर लिया और बोलीं- शिवम आओ!


तब मैंने देखा कि चाची ने लाल साड़ी पहन कर पूरा मेकअप कर लिया था और वे एक नई दुल्हन की तरह तैयार हो चुकी थीं.


मैंने आज पहली बार चाची का यह रूप देखा था.

क्या मस्त लग रही थीं, पूरी कयामत … उन्होंने आज अपनी पतली कमर के काफी नीचे से साड़ी को बांध रखा था.

उनकी नाभि साफ दिख रही थी.


चाची आज काफी खुश लग रही थीं.


उन्हें देख कर मेरा लंड काफी टाइट हो रहा था और सामने से दिख भी रहा था.


उन्होंने आगे बढ़ कर टिफिन मेरे हाथ से ले लिया और हंस कर बोलीं- क्या हुआ, गोली ताकत वाली है, असर साफ दिख रहा है!


मैं तो पहले से ही काफी डर रहा था लेकिन जब चाची ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- शिवम, आज मेरी प्यास बुझा दो, मैं तुम से कबसे चुदवाना चाहती हूँ प्लीज़ राहुल!

उनकी गिड़गिड़ाने जैसी आवाज हो गई थी तो मेरे अन्दर साहस जाग गया था.


वे कहे जा रही थीं- तुम्हारे लंड को आज से एक साल पहले देखा था, तब से उसकी दीवानी हूं. आज मेरी प्यास बुझा दो!

मैं भी दवा के असर से वासना से तप्त हो गया था.


मैंने कहा- ठीक है चाची!

वे बोलीं- नहीं चाची मत कहो, मोली कहो!

‘ठीक है सोनी!’


चाची ने मेरा लोअर उतार दिया और अंडरवियर को नीचे करके मेरे तने हुए लंड को देख कर वे चौंक गईं- ये इतना मोटा … इतना लंबा भी होता है क्या?

वे मेरे लंड से खेलने लगीं, उसे अपने मुँह में लेकर अन्दर बाहर करने लगीं.

अपने मुँह से मस्त चूसने लगीं.

फच फच की आवाज निकलने लगी.


वे अपनी बिना झांटों वाली चूत को सहलाने लगीं.

लगभग दस मिनट बाद उनका पानी निकल गया.


चाची ने मेरे लंड को कसके दबा दिया और निहाल हो गईं.


अभी दो मिनट ही हुए थे कि वे मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ने लगीं.


मैंने अपना मुँह उनकी चूची पर रख दिया और चाटने लगा.

क्या स्वाद था आह!


वे अकड़ने लगीं और बोलीं- शिवम अब डाल दो प्लीज!

मैंने अपने लंड का सुपारा जैसे ही उनकी चूत पर रख कर अन्दर पेला, वे एकदम से चिल्ला पड़ीं ‘आह निकालो राहुल, बहुत मोटा है तेरा!’


पर मैंने उनकी एक ना सुनी और एक तेज झटका देते हुए लंड अन्दर पेल दिया.

मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया था.


मोली चाची की आंखें जैसे बाहर निकल आई थीं और उनकी घिग्गी बंध गई थी.

मैं थोड़ा रुक गया.


जब मुझे चाची का दर्द थोड़ा कम मालूम हुआ, तो मैंने फिर से एक झटका मारा और अपना पूरा लंड चाची की चूत के अन्दर पेल दिया.

वे दर्द में गाली बकने लगीं- निकालो भोसड़ी के अपने लंड को … मुझे नहीं चुदवाना है … तुम्हारा खूँटा मेरी फाड़ देगा … हट जा मादरचोद … आह लग रही है कुत्ते निकाल ले अपना लंड!


मैंने उन्हें कसके पकड़ा और जोर जोर के झटके मारने लगा.

कुछ देर के दर्द के बाद अब चाची को मजा आने लगा था.


वे अपनी कमर उठा उठा कर लंड लेने लगी थीं ‘आह और जोर से चोदो … आह उह उई मम्मी मर गई!’


कुछ ही देर में चाची का शरीर अकड़ गया और वे झड़ गईं.

अब वे मुझे अपने ऊपर से हटाने लगीं लेकिन मेरा लंड अभी बाकी था.


मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो चाची का बुरा हाल हो गया था.

मुझे उन्हें चोदते हुए काफी देर हो चुकी थी.


चाची अब रोने सी लगी थीं.

मैंने कहा- गोली क्यों खिलाई थी, अब भुगतो!


वे चुप हो गईं.

फिर जब मेरा लंड झड़ने को हुआ तब मैंने सोनी जी, कहां निकालूँ!

वे हंस कर बोलीं- मुँह में झाड़ दो!


मैंने लंड को चूत से निकाला और उनके मुँह में लंड देकर रस झाड़ दिया.


वे सारा रस पी गईं और बांहों में भर कर बोलीं- शिवम, आज से ये मोली और चूत दोनों तुम्हारी है, जब मन करे आकर इस चूत की प्यास बुझा जाना!


अब काफी समय हो गया था तो मैंने तुरंत अपना लोअर और बनियान पहना.

मैं बोला- चाची मैं अभी आता हूं, मम्मी घर पर अकेली हैं.


चाची बोलीं- आज रात तुम मेरे हो राजा! मत जाओ.

लेकिन मैं उनसे बहाना बना कर निकल आया.


हॉट चाची चूत चुदाई करके मैं घर पहुंचा तो मम्मी बर्तन साफ कर रही थीं.

मैंने कहा- मम्मी, मैं पापा के पास खेत पर जा रहा हूँ, देर तक आऊंगा तो गेट बंद मत करना!


मम्मी बोलीं- ठीक है, मोली को खाना दे आया था!

‘हां मम्मी!’


फिर मैं चाची के घर की तरफ निकल गया.


चाची गेट पर मेरा ही इंतजार कर रही थीं, वे दरवाजे की ओट में बिना कपड़ों के ही खड़ी थीं.

मैंने उनको अन्दर धकेला, गेट बंद किया और उन्हें पकड़ कर खटिया पर ले जाकर फिर से चालू हो गया.


चार बार चुदाई करने के बाद सुबह के 4 बजे मैं उनके घर से निकल कर अपने घर चला आया.

सुबह जब मैं जागा तो चाची मेरे घर पर आई थीं.


उनकी हालत देख कर कोई भी कह सकता था कि कितनी चुदाई हुई है.


उन्होंने मुझे देख कर आंख मारी और मुस्कुरा कर वापस चली गईं.

दोस्तो, आज 12 साल हो गए हैं, हमारी चुदाई की कहानी अभी भी मस्त चल रही है.


कैसी लगी हॉट चाची चूत चुदाई कहानी दोस्तो, कमेंट करके बताना.

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